प्रश्न १. लेखक व उनके मित्र की चारित्रिक विशेषताएँ स्पष्ट कीजिए | उत्तर :- लेखक प्रकृति प्रेमी हैं | उन्हें हर कार्य समय की सीमा में रहकर करना पसंद है | वे भग्यवादी फिलोसोफी का बहाना लेकर अपने सामाजिक कर्तव्यों से हर समय बचते हुए भी नज़र आते हैं | इसलिए वे उस लड़के की सहायता करने में न ही स्वयं उत्सुकता दिखाते हैं न ही अपने मित्र को ही भावनात्मक रूप से कमज़ोर होने देते हैं |
लेखक के मित्र प्रकृतिवादी होने के साथ दयावान भी हैं | उन्हें १० वर्षीय अनाथ बालक के साथ सहानुभूति तो है परंतु वे उसकी मदद अपने आपको कष्ट पहुँचाकर नहीं करना चाहते हैं | उनकी दया केवल शब्दों में ही विद्यमान है |
प्रश्न २ कहानी के मार्मिक अंत द्वारा लेखक क्या संदेश देना चाहते हैं ?
उत्तर :- अपना - अपना भाग्य कहानी के मार्मिक अंत द्वारा लेखक यह संदेश देना चाहते हैं कि समाज हृदयहीन हो चुका है | व्यक्ति के मन में सामाजिक कर्तव्य कि अपेक्षा निजी स्वार्थ को प्राथमिकता प्राप्त हो चुकी है, जिसके कारण सारी सुविधाएँ रहते हुए भी लेखक और उनके मित्र उस अनाथ पहाड़ी लड़के को न ही भोजन करा पाते हैं न ही उसे ठंड से बचने के लिए आश्रय ही देते पाते हैं | अंत में बालक खुले आसमान के नीचे एक वृक्ष कि छाया में समाज कि निष्ठुरता का शिकार होकर मृत्यु को प्राप्त करता है | समाज से प्रेम, दया और मदद के बदले उसे लोगों कि मार, भूख और अविश्वास प्राप्त होता है | जिसे प्रकृति अपनी बर्फ़ रूपी ममता कि चादर से ढक देती है |
बालक के जीवन के ऐसे दुखद अंत से लेखक ने समाज के मानवीय मूल्यों में आ रही गिरावट की और संकेत किया है | जिसे समाज अपनी गलती नहीं मानता बल्कि गरीब का भाग्य कहकर अपने कर्तव्य से जी चुराता दिखाई देता है |