निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिये |
प्रश्न 1 :- महाराणा लाखा ने कौन - सी प्रतिज्ञा ली थी ?
उत्तर :- महाराणा लाखा जो कि मेवाड़ के शासक थे | बूँदी नामक स्थान को अपने अधीन करना चाहते थे इसीलिए उन्होंने यह प्रतिज्ञा ली थी कि जब तक वे बूँदी के दुर्ग में सेना सहित प्रवेश नहीं करेंगे, तब तक अन्न - जल ग्रहण नहीं करेंगे |
प्रश्न 2 :- महाराणा लाखा को क्यों लगा कि उन्होंने मेवाड़ के गौरवपूर्ण इतिहास में कलंक का टीका लगाया है ?
उत्तर :- महाराणा लाखा को एक बार मुट्ठीभर हाड़ाओं ने बुरी तरह पराजित कर दिया था जिसके कारण मेवाड़ के आत्म - गौरव को बड़ी ठेस पहुँची थी | तब से महाराणा लाखा कि आत्मा उन्हें धिक्कार रही थी | उन्हें यह सोचकर बड़ा पछतावा हो रहा था कि बाप्पा रावल और हम्मीर का रक्त जिसकी धमनियों में बह रहा था, वह प्राणों के भय से युद्ध का मैदान छोड़कर भाग गया | यह उनके लिए बड़े कलंक कि बात थी | इसलिए उन्हें लगा कि उन्होंने मेवाड़ के गौरवपूर्ण इतिहास में कलंक का टीका लगाया है |
प्रश्न 3 :- 'प्राण जाएँ पर वचन न जाए' इस कथन का आशय स्पष्ट करिए |
उत्तर :- सूर्यवंश में सदा से ही अपने वचन पर डटे रहने की बात प्रसिद्ध है |
भगवान राम के पिता दशरथ ने भी अपने वचनों का पालन करते हुए अपने प्राण न्योछावर कर दिए थे | उसी बात को याद कर महाराणा लाखा कहते हैं कि दिए गए वचनों पर डटे रहना राजपूतों के जीवन का मूल - मंत्र है | इसीलिए वे अपने दिए हुए वचन को वापस नहीं ले सकते थे |
प्रश्न 4 :- संख्या में कम होते हुए भी हाड़ाओं ने मेवाड़ की सेना का सामना किस प्रकार किया ?
उत्तर :- संख्या में कम होते हुए भी हाड़ाओं ने मेवाड़ की सेना का सामना बड़ी वीरता के साथ किया | महाराणा लाखा तथा उनके सैनिकों को हाड़ाओं के अचूक निशानों का सामना करना पड़ा | वे लोग गिनती में कम थे, किन्तु उन्होंने दीवारों की आड़ में जगह बनाकर मेवाड़ की सेना पर गोली और तीर बरसाने आरंभ कर दिए | इस प्रकार हाड़ाओं द्वारा किए गए अचानक हमले से महाराणा की सेना भौंचक्की रह गई |
प्रश्न 5 :- वीरसिंह कौन था ? उसकी वीरता देखकर महाराणा लाखा तथा अभयसिंह क्या चाहते थे ?
उत्तर :- वीरसिंह मेवाड़ की सेना का एक सिपाही था जो बूँदी का रहने वाला था |
महाराणा लाखा को वीरसिंह की वीरता देखकर बड़ी प्रसन्नता हुई | वे चाहते थे कि ऐसे वीर के प्राणों की किसी प्रकार रक्षा हो जाए | अभयसिंह ने तो युद्ध के दौरान सफ़ेद झंडा फहराकर युद्ध रोक दिया था | उसके बाद स्वयं दुर्ग में जाकर वीरसिंह के साहस कि प्रशंसा की | साथ ही उससे अनुरोध किया कि वह अपने प्राण व्यर्थ में न गँवाए |
प्रश्न 5 :- बूँदी का नकली दुर्ग क्यों बनवाया गया ? उसको बनवाने का क्या परिणाम निकला ?
उत्तर :- महाराणा लाखा की प्रतिज्ञा थी कि जब तक वे बूँदी के किले को जीत न लेंगे तब तक वे अन्न - जल ग्रहण नहीं करेंगे उनकी इस प्रतिज्ञा को पूरा करने के लिए नकली दुर्ग बनाकर उसे नष्ट करने का उपाय ढूँढा गया |
उसे बनवाने का यह परिणाम निकला कि वीरसिंह जैसे सिपाहियों ने उसकी रक्षा के लिए युद्ध किया क्योंकि उन्हें नकली बूँदी का दुर्ग भी प्राणों से अधिक प्रिय तहत | इस युद्ध में वीरसिंह शहीद हो गए किन्तु मेवाड़ और बूँदी के निवासियों के ह्रदय सदा के लिए मिल गए | |