तृतीय: पाठ प्रश्न १- एकपदेन उत्तरं लिखत् ।
एक शब्द में उत्तर लिखिए।
क. परमम् आरोग्यं कस्मात् उपजायते ?
हिंदी में :- उत्तम निरोगता किससे उत्पन्न होती हैं।
उत्तर :- व्यायामात् (व्यायाम से)
ख. कस्य मांसं स्थिरीभवति ?
हिंदी में :- किसका माँस परिपक्व हो जाता है।
उत्तर :- व्यायामभिरतस्य।
(व्यायाम में तल्लीन रहने वाले का)
ग. सदा क: पथ्य: ?
हिंदी में :- सदा कौन कल्याणकारी है।
उत्तर :- व्यायाम।
घ. कै: पुंभि: सर्वेषु ऋतुषु व्यायाम: कर्तव्य:?
हिंदी में :- किन पुरुषों के द्वारा सभी ऋतुओं में व्यायाम करना चाहिए।
उत्तर :- आत्महितैषिभि:।
(आत्म कल्याण चाहने वाले।)
ड. व्यायाम स्विन्नगातृस्य समीपं को न उपसर्पन्ति ?
हिंदी में :- व्यायाम के कारण पसीने से लथपथ शरीर वाले के पास कौन नहीं आते है।
उत्तर- व्याधय:। (रोग)
प्रश्न २- अधोलिखितानां प्रश्नानां उत्तरानि संस्कृतभाषया लिखत् ?
नीचे लिखें प्रश्नो के उत्तर संस्कृत भाषा में लिखिए।
क. कीदृशं कर्मं व्यायामसंज्ञितं कथ्यते।
हिंदी में :- कैसा कर्मं व्यायाम नाम वाला कहा गया है?
उत्तर :- शरीरायासजननं कर्मं व्यायामसंज्ञितं कथ्यते।
(शरीर के परिश्रम से उत्पन्न कर्म व्यायाम नाम वाला कहा गया है।)
ख. व्यायामात् किं किमुपजायते ?
हिंदी में :- व्यायाम से क्या क्या उत्पन्न होता है
उत्तर :- श्रम, क्लम, पिपासा, उष्ण,शीत आदिनां सहिष्णुता परमं च आरोग्यम् अपि व्यायामात् उपजायते।
(परिश्रम की थकान, प्यास, गर्मी, सर्दी आदि को सहन करने की शक्ति और उत्तम निरोगता भी व्यायाम से उत्पन्न होती है।)
ग. जरा कस्य सकासं सहसा न समाधिरोहति?
हिंदी में :- बुढ़ापा किसके पास अचानक नहीं आता है?
उत्तर :- जरा व्यायामाभिरतस्य सकासं सहसा न समाधिरोहति ।
बुढ़ापा व्यायाम में तल्लीन रहने वाले के पास अचानक नहीं आता है।
घ. कस्य विरुद्धं अपि भोजनं परिपच्यते?
हिंदी में :- किसका खराब भोजन भी पच जाता है।
उत्तर : - नित्यं व्यायामं कुर्वत: विरुद्धं अपि भोजनं परिपच्यते।
प्रतिदिन व्यायाम करने वाले का खराब भोजन हुं पच जाता है।
डं. कियता बलेन व्यायाम: कर्तव्य:?
हिंदी में :- कितनी ताकत से व्यायाम करना चाहिए।
उत्तर : - बलस्य अर्थेन व्यायाम: कर्तव्य: ।
आधी ताकत से व्यायाम करना चाहिए।
च. अर्धबलस्य लक्षणं किम् ? हिंदी में :- आधे बल खा लक्षण क्या हैं।
उत्तर : - यदि ह्रदिस्थानास्थित: वायु: वक्तृं पृपद्यते तद् व्यायामं कुर्वत: जन्तो; अर्धबलस्य लक्षणं ।
जब ह्रदय में स्थित वायु मुंह तक पहुंचती है वह व्यायाम करते हुए व्यक्ति के आधे बल का लक्षण होता है।
प्रश्न ३-- उदाहरणं अनुसृत्य कोष्ठकगतेषु पदेषु तृतीया विभक्तिं पृयुज्य रिक्तस्थानानि पूरयत। उदाहरण के अनुसार कोष्ठक में दिये गए शब्दों में तृतीया विभक्ति का प्रयोग करके रिक्त स्थानो को पूरा कीजिए।
क. व्यायाम:
गुणै: हीनमपि सुदर्शनं करोति।( गुण)
ख.
बलेन व्यायाम; कर्तव्य: (बलस्यार्धम्)
ग.
व्यायामेन सदृशं किण्चित् स्थौल्यापकर्षणं नास्ति। (व्यायाम)
घ.
विद्यया बिना जीवनं नास्ति। (विद्या)
च. स:
चरणेन खण्ज: अस्ति। (चरण)
छ. सुपरकार:
नासिकया भोजनं जिघृति । (नासिका ) ।
प्रश्न ४ (अ) - स्थूलपदमाधृत्य प्रश्न निर्माणं कुरुत। मोटे शब्दों के आधार पर पृश्ननिर्माण कीजिए।
क. शरीरस्य आयासजननं कर्मं व्यायाम: इति कथ्यते। शरीर का परीश्रम से उत्पन्न कर्म व्यायाम कहा जाता है।
प्रश्ननिर्माणं :- कस्य आयासजननं कर्म व्यायाम: इति कथ्यते ?
किसका परिश्रम से उत्पन्न कर्म व्यायाम कहा जाता हैं ?
ख. अरय: व्यायामिनं न अर्दंयन्ति। शतृऊगण व्यायाम करने वाले को नहीं कुचल पाते हैं।
प्रश्ननिर्माणं :- के व्यायामिनं न अर्दंयन्ति।
कौन व्यायाम करने वाले को नहीं कुचल पाते हैं ?
ग. आत्महितैषिभि: सर्वदा व्यायाम: कर्तव्य: । अपना कल्याण चाहने वालों के द्वारा सदा व्यायाम करना चाहिए।
प्रश्ननिर्माणं :- कै: सदा व्यायाम: कर्तव्य:?
किनके द्वारा सदा व्यायाम करना चाहिए ?
घ. व्यायाम: कुर्वत: विरूद्धं भोजनं अपि परिपच्यते। व्यायाम करने वाले का खराब भोजन भी पच जाता है।
प्रश्ननिर्माणं : - व्यायामं कुर्वत: कीदृशं भोजनं अपि परिपच्यते?
व्यायाम करने वाले का कैसा भोजन भी पच जाता है ?
ड़. गातृआणां सुविभक्तता व्यायामेन संभवति। अंगों का शारिरिक सौंदर्य व्यायाम से होता है।
प्रश्ननिर्माणं :- केषां सुविभक्तता व्यायामेन संभवति ?
किनका शिरीरिक सौंदर्य व्यायाम से होता है ?
प्रश्न ४ (आ)- षष्ठ श्लोकं भावमाश्रित्य रिक्त स्थानानि पूरयत | छठे श्लोक के भाव के आधार पर रिक्त स्थानों को पूरा कीजिए
उत्तर -
वैनतेयम् समीपे उरगा: न
उपसर्पन्ति एवमेव व्यायामिन: जनस्य समीपं
व्याधय: न गच्छन्ति । व्यायाम: वयोरूपगुणहीनम् अपि जनम्
सुदर्शनं करोति।
प्रश्न ५ -' व्यायामस्य लाभा :' इति विषयमधिकृत्य पणचवाक्येषु संस्कृतभाषया एकम् अनुच्छेदं लिखती। उत्तर - १- व्यायामेन जठराग्नि: उत्तमा भवति ।
२- व्यायामात् आरोग्यं जायते।
३- व्यायामेन अड़्गेषु कान्ति: भवति।
४- व्यायामेन सदृशं स्थौल्य अपकर्षणम् किण्चित् अपि नास्ति।
५- व्यायाम अभिरतस्य वृद्धावस्था शीघृम् न भवति।