क्रिया के भेद (Kinds of Verb)


कर्म के आधार पर क्रिया के दो भेद होते हैं :

1. सकर्मक क्रिया (Transitive Verb)  
2. अकर्मक  क्रिया (Intransitive Verb)

1. सकर्मक क्रिया (Transitive Verb):-  
कर्म के साथ की जाने वाली क्रिया सकर्मक क्रिया कहलाती है | जिस क्रिया में कर्ता के साथ कर्म होता है और कार्य का प्रभाव कर्ता पर न पड़कर कर्म पर पड़ता है, उसे सकर्मक क्रिया कहते है | 
जैसे :- सुखाना, बनाना, पीना, खाना, धोना, सीखना, लिखना आदि | 

खिलाड़ी क्रिकेट खेलते हैं |
ड्राइवर बस चला रहा है |

उपर्युक्त वाक्य में 'क्रिकेट', 'बस' का प्रभाव कर्ता पर न पड़कर कर्म (खेलने , चला रहा है ) पर पड़ रहा है |

सकर्मक क्रिया के दो भेद होते हैं : - 

1. एककर्मक क्रिया (Single Object Verb)
2. द्विकर्मक क्रिया (Verb with two Objects)


1. एककर्मक क्रिया :- जिन क्रिया शब्दों द्वारा क्रिया के एक कर्म का बोध होता है , उन्हें एककर्मक क्रिया कहते है |
जैसे - राधा ने माला बनाई | नरेश ने पेड़ लगाया |  


2. द्विकर्मक क्रिया :- जिन क्रिया शब्दों के द्वारा क्रियाओं के दो रूप वर्णित किये जाते हैं, उन्हें द्विकर्मक क्रिया कहते हैं |
जैसे - रमेश ने सुरेश से गीत सुना | राकेश ने टीचर से किताब मांगी |


2. अकर्मक  क्रिया :- बिना कर्म के साथ की गयी क्रिया | जिस क्रिया में कर्ता के साथ कर्म नहीं होता है और कार्य का प्रभाव कर्ता पर पड़ता है, उसे अकर्मक क्रिया कहते हैं |
जैसे :- हँसना, सोना, रोना, उड़ना, तैरना आदि |

कुत्ता
दौड़ रहा है |
पक्षी उड़ रहे हैं |

उपर्युक्त वाक्य में सीधा प्रभाव कर्ता पर पड़ता है | इस वाक्य में कर्म नहीं होता है |

संरचना के आधार पर क्रिया के भेद 

इस आधार पर क्रिया के पाँच भेद हैं - 
1. सामान्य क्रिया 
2. संयुक्त क्रिया 
3. नामधातु क्रिया 
4. पूर्वकालिक क्रिया 
5. प्रेरणार्थक क्रिया 


1. सामान्य क्रिया :- जब वाक्य में एक ही क्रिया का प्रयोग होता है, उसे 'सामान्य क्रिया' कहते हैं |
जैसे - पढ़ + ना = पढ़ना, चल + ना = चलना 

2. संयुक्त क्रिया :- जब क्रिया दो या दो से अधिक धातुओं के मेल से बनती है, उसे 'संयुक्त क्रिया' कहते हैं |
जैसे - रमेश पढ़ चूका |, वह चला गया |

3.  नामधातु क्रिया :- संज्ञा, सर्वनाम तथा विशेषण शब्दों में प्रत्यय जोड़कर बनने वाली धातुओं को 'नामधातु क्रिया' कहते हैं | 
जैसे - हाथ से हथियाना, अपना से अपनाना |

4. पूर्वकालिक क्रिया :- जहाँ मुख्य क्रिया के होने से पहले किसी क्रिया के पूर्व होने का भाव हो, उसे 'पूर्वकालिक क्रिया' कहते हैं |
जैसे - नरेश पढ़कर सो गया |

5. प्रेरणार्थक क्रिया :- जिस क्रिया द्वारा यह बोध होता है कि कर्ता स्वयं कार्य न करके किसी अन्य को कार्य करने कि प्रेरणा देता है, उसे प्रेरणार्थक क्रिया करते हैं |
जैसे - सेठ जी ने मज़दूरों से बोरियाँ उठवाई |  

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