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यदि मैं पक्षी होता ....


यदि मैं पक्षी होता ....
काश ! मैं पक्षी होता। कोई रोक - टोक नहीं होती, कोई सीमा नहीं होती। इन पंछियों की तरह ही मेरा जीवन भी स्वछंद होता। हम हर समय अपने आस - पास देखते हैं कि कई स्थानों पर व्यक्तियों के आने - जाने पर रोक - टोक होती है। धर्म के नाम पर भेदभाव, टकराव, बिना अनुमति पत्र व पार पत्र के हम दूसरे देश नहीं जा पाते हैं। कई बार परिवार जन की इच्छा के बिना मनचाही पढ़ाई नहीं कर पाते हैं। हर समय बाहर घूमने नहीं जा पाते हैं। यह सब होने पर हमें ऐसा लगता है। काश ! हम भी इन पक्षियों की तरह आज़ाद होते । 

एक बार इन पक्षियों के विषय में ऐसा विचार आते ही मेरे मन ने पक्षी होने की कल्पना कर ली। बस इतना सोचने ही मेरी कल्पनाओं ने उड़ान भरनी शुरू कर दी। यदि मैं पक्षी होता तो .... सबसे पहले अपने मनचाहे स्थान पर जाता। कितना आनंद आता कि बिना पैसे खर्च किए, मैं अपने सपने को पूरा कर पता। कहीं भी जाने हेतु मुझे कतार में खड़े होकर किसी वाहन का इंतज़ार नहीं करना पड़ता। न देर होने की चिंता होती, न दंड मिलने का भय होता। अपने ही अनुसार जीवन व्यतीत करता। मैं मेरे पसंद की सभी जगह पर जाता और वो भी मुफ्त में । जहाँ चाहे वहाँ बैठा रहता और मित्रों के साथ गप-  शप करता। बहुत ऊँची उड़ान भरता। किसी वृक्ष पर बैठकर अपने मनचाहे फल का आनंद लेता। कितना बंधनरहित जीवन होता।

पक्षी आज़ाद होते हुए भी अपने जीवन में अनुशासन का पालन करना नहीं भूलते। यह पक्षी बनने की कल्पना के बाद ही मैं समझ पाया हूँ। उन्हें किसी के आदेश या निर्देश की आवश्यकता नहीं होती, वे स्वंय ही समय पर उठते हैं। अपना भोजन खोजते हैं और अपना घोंसला बनाते हैं। कुछ पक्षी तो ऐसे भी होते हैं जो अपने घोंसले को तब - तक बनाते रहते हैं जब तक वह एक सुन्दर एवं पूर्ण घोंसला नहीं बन जाता, बया पक्षी इसका एक उदाहरण है। ये पंछी मौसम बदलते ही अपनी दिनचर्या और रहने का स्थान भी बदल लेते हैं। प्रकृति ने इन्हें कई ऐसे गुण दिए हैं जिससे ये किसी पर भी निर्भर नहीं रहते। चाहे कैसी भी परिस्थिति हो ये अपना कार्य करते ही रहते हैं। हमें इनसे कर्मठता, प्रेम, सहयोग और आत्मनिर्भरता जैसे गुणों की शिक्षा मिलती है। इसलिए यदि मैं पक्षी होता... तो इनकी तरह अनुशासनप्रिय भी होता जिसकी मुझमें कमी है और एक बहुत सुखी और गौरवपूर्ण जीवन जीता ।
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