यदि मैं प्रधानाचार्य होता
सभी की रूचि समान नहीं होती | कोई जीवन में धन कमाना चाहता है तो कोई अच्छा समाज सेवक बनना चाहता है | बहुत- से लोग डॉक्टर - इंजीनियर बनना चाहते हैं | कुछ लोग ऐसे भी हैं जो उधोगपति बनना चाहते हैं | पर मेरी इच्छा इनसे बिल्कुल भिन्न है | मैं चाहता हूँ कि मैं ऊँची शिक्षा प्राप्त करूँ और किसी विद्यालय का प्रधानाचार्य बन जाऊँ | यदि मुझे किसी विद्यालय का प्रधानाचार्य बनने का अवसर मिलता तो मैं क्या करता | यह बहुत महत्त्वपूर्ण प्रश्न है, पर मैंने सोच लिया है कि यदि मुझे प्रधानाचार्य बनने का अवसर मिला तो मैं निम्नलिखित कार्य कर अपने विद्यालय को देश का एक अच्छा विद्यालय बनाने का प्रयत्न करूँगा |
प्रधानाचार्य का पद अत्यंत गरिमापूर्ण होता है | प्रधानाचार्य ही विद्यालय का सर्वेसर्वा होता है | उसके अधीन सारे अध्यापक, कर्मचारी और विद्यार्थी होते हैं | यदि उसके कार्य करने का ढंग अच्छा है, उसका व्यवहार बढ़िया है, वह अपने विषय का भी पूर्ण जानकर है और विद्यालय के विकास के लिए वह प्रयत्नशील है तो उसे अपने कार्य में सफलता मिलती है | इसलिए मैं यदि प्रधानाचार्य बना तो इन सब गुणों को अपने अंदर समेटने का प्रयत्न करूँगा |
छात्रों के पूर्ण विकास के लिए पुस्तकालय का बहुत महत्त्व है | विद्यालय का पुस्तकालय इसलिए ऐसा होगा जिसमें छात्रों को हर प्रकार कि अच्छी - अच्छी पुस्तकें, पत्र - पत्रिकाएँ आदि उपलब्ध हो सकें | अतएव मैं इस बात का प्रयत्न करूँगा कि पुस्तकालय में बैठने की भी अच्छी व्यवस्था हो | उसमें प्रकाश हो और पुस्तकालय की कक्षा हवादार हो |
छात्रों के विकास के लिए खेलकूद की भी सुविधाएँ देने का प्रयत्न करूँगा | खेलकूद की अनेक प्रकार की सामग्री की व्यवस्था कराऊँगा | इससे छात्र अपनी - अपनी रुचि के अनुसार खेलकूद में भाग ले सकेंगे |
नियमितता - समय का पालन, जीवन में सफलता के लिए बहुत आवश्यक है | जो व्यक्ति इस सिद्धांत का पालन करते हैं सफलता उनके कदम चूमती है | मैं स्वयं इस नियम का पालन करूँगा और इस बात का प्रयत्न करूँगा कि छात्र और अध्यापक भी इसका पालन करें | समय पर घंटी बजते ही अध्यापक अपनी - अपनी कक्षाओं में जाएँ और पढ़ाने का कार्य आरंभ कर दें | छात्र भी समय पर विद्यालय आएँ और नियमित रूप से अपना काम करें |
मैं विद्यालय में ऐसी शिक्षा का प्रचार करता जिससे छात्रों का चहुँमुखी विकास हो सके | छात्रों में मानवीय विकास के लिए प्रार्थना सभा तथा धार्मिक त्योहारों के महत्त्व तथा सर्वधर्म प्रार्थना आदि के विषय में अध्यापकों और विद्यार्थियों से भाषण आदि करवाता तथा कभी - कभी नाटकों और सांस्कृतिक कार्यक्रमों द्वारा भी उनका मानसिक विकास करने का प्रयास करता |
इसके आलावा मैं अध्यापकों तथा छात्रों के साथ समय - समय पर मीटिंग करता तथा उनकी समस्याओं को सुनता और उन्हें दूर करने का प्रयास करता | विद्यालय एक प्रजातांत्रिक प्रणाली है जो एक - दूसरे के सहयोग से ही चलती है |
मैं अपने विद्यालय के छात्रों को आजकल की एक बहुत बड़ी समस्या - पर्यावरण प्रदूषण - के बारे में विस्तार से समझता तथा विद्यालय के वातावरण को सुन्दर व सुरभित बनाने के लिए पेड़ - पौधे लगवाता | इस कार्य के लिए मैं विद्यालय के छात्रों की मदद लेता | मैं अपने विद्यालय को एक आदर्श विद्यालय के रूप में प्रस्तुत करता | यही मेरा सपना है | मुझे विश्वास है कि मैं अवश्य प्रधानाचार्य बनूँगा और अपने विद्यालय को आदर्श विद्यालय बनाऊँगा |