संस्कृत शब्द का अर्थ सस्कृत शब्द का अर्थ है संस्कार की हुई परिमार्जित शुद्ध वस्तु संस्कृत शब्द अपने आप में शुद्धता और पवित्रता लिए हुए हैं अतः संस्कृत भाषा परिमार्जित और शुद्ध भाषा है यह देवों की भाषा है सभी भाषाओं की जननी है अतः अन्य सभी भाषाएं संस्कृत से ही निकली है संस्कृत शब्द से आर्यों की साहित्यिक भाषा का बोध होता है यह भाषा प्राचीन काल से आर्य पंडितों की बोली थी और उनके ही द्वारा चिरकाल तक आर्य विद्वानों का परस्पर व्यवहार होता था | आर्य सभ्यता का परिचय देने वाले अधिकांश ग्रंथ इसी भाषा में है |
व्याकरण का अर्थ व्याकरण का अर्थ है किसी वस्तु के टुकड़े टुकड़े करके उसका ठीक स्वरूप दिखाना यदि देखा जाए तो प्रत्येक भाषा वाक्यों का समूह है वाक्य कोई बड़े होते हैं कोई छोटे बड़े वाक्य बहुधा छोटे-छोटे वाक्यों के शुभ संबंध समूह होते हैं वास्तव में वाक्य ही भाषा का आधार है वाक्य शब्दों का समूह होता है प्रत्येक शब्द में कई वर्ण होते हैं जिनको अक्षर भी कहते हैं |
संस्कृत भाषा में जिन अक्षरों का ज्ञान होता है वह यह है स्वर अ, इ, उ, ऋ, लृ | ह्र्स्व |
ए, ऐ, ओ, औ | मिश्रविकृत दीर्घ |
आ, ई, ऊ, ऋ | दीर्घ |
व्यंजन क, ख, ग, घ, ड़ | क वर्ग |
च, छ, ज, झ, ण | च वर्ग |
ट, ठ, ढ, ड , ण | ट वर्ग |
त, थ, द, ध, न | द वर्ग |
प, फ, ब, भ, म | प वर्ग |
य, र, ल, व | अन्तस्थ |
श, ष, स, ह | उष्म वर्ण |
| अनुस्वार |
| अनुनासिक |