कारक प्रकरण (Case)


कारक प्रकरण


हिन्दी में कर्ता कर्म आदि सम्बन्ध को दिखाने के लिये ‘ने’ ‘को’ ‘से’ आदि शब्द संज्ञा के पीछे अथवा सर्वनाम के पीछे जोड़ दिये जाते है । जैसे – राम ने मारा, श्याम को मारा,  तुमने बिगाड़ा, तुमको डाँटा आदि। किन्तु संस्कृत में इन सम्बन्धों को दिखाने के लिये संज्ञा या सर्वनाम का रुप ही बदल देते है। जैसे – राम ने की जगह रामः, श्याम को की जगह  श्यामम् , और राम का की जगह  रामस्य। इस प्रकार एक ही शब्द के कई रुप हो जाते है । ये रुप विभक्ति द्वारा दिखाये जाते है। विभक्ति सात होती है – प्रथमा से लेकर सप्तमी तक। सम्बोधन को विभक्ति नही माना है, सम्बोधन -  हे, ओ, अरे इस अर्थ में प्रयुक्त होता है।

संस्कृत में आठ कारक के प्रकार होते हैं |

- कर्ता कारक (Nominative Case)
- कर्म कारक (Objective Case)
- करण कारक (Instrumental Case)
- संप्रदान कारक (Dative Case)
- अपादान कारक (Ablative Case)
- संबंध कारक (Possessive Case)
- अधिकरण कारक (Locative Case)
- संबोधन कारक (Vocative Case)


संस्कृत से हिन्दी में अनुवाद करने के लिये इन विभक्तियों का प्रयोग आवश्यक होता है।
 
विभक्ति कारक अर्थ
प्रथमा कर्ता   ने
द्वितीया कर्म को
तृतीया करण से, के द्वारा, के साथ
चतुर्थी सम्प्रदान के लिये
पंचमी अपादान से
(पृथक्करण )
षष्ठी सम्बन्ध का, की, के . रा, रे, री
सप्तमी अधिकरण में, पर
सम्बोधन सम्बोधन हे, अरे. रे
                                                                                                
इस प्रकार विभक्ति का प्रयोग हिन्दी से संस्कृत में अनुवाद करने के लिये किया जाता है ।

राम ने रावण को मारा ।  राम ने – ने  में प्रथमा, ‘को’  में द्वितीया 
रामः रावणं  अताड़यत । 
बालक गेंद से खेलता है ।  बालक में प्रथमा, गेद से  ‘से’ में तृतीया
बालकः कन्दुकेन क्रिड़ति ।
पेड़ से पत्ता गिरता है। पेड़ से ‘से’ में पंचमी। यहाँ पर पत्ते का सम्बन्ध गिरने के बाद पेड़ से बल्कुल खत्म हो गया, वापस पेड़ से उसका कोई सम्बन्ध नही रहता, पत्ता पृथक हो जाता है, जब किसी भी वस्तु का सम्बन्ध एक दूसरे से अलग हो जाय, वहाँ पर पंचमी विभक्ति का प्रयोग किया जाता है। और जहाँ पर एक दूसरे से सम्बन्ध लगातार बना रहता है, तब वहाँ पर तृतीया विभक्ति का प्रयोग होता है। बालक का गेद से सम्बन्ध लगातार बना हुवा है , इसलिये गेंद में तृतीया का प्रयोग हुवा।
पेड़ से पत्ता गिरता है - वृक्षात्  पत्रम्  पतति ।

इस प्रकार कारक प्रकरण का अभ्यास पुनः पुनः वाक्य बनाकर करना पड़ेगा 

 

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