दीर्घ स्वर सन्धि - जब दो वर्णो को आपस में जोड़ा जाता है , तो उसे सन्धि कहते है।
सन्धि के वर्ण | सन्धि –शब्द | सन्धि विच्छेद |
अ+ अ = आ | रामावतार | राम +अवतार |
आ +अ =आ | विद्यार्थी | विद्या + अर्थी |
आ + आ =आ | विद्यालय | विद्या + आलय |
इ + इ = ई | कवीन्द्र | कवि + इन्द्र |
इ +ई =ई | हरीश | हरि +ईश |
ई + ई =ई | महीश | मही + ईश |
उ + उ =ऊ | भानूदय | भानु + उदय |
ऊ + उ =ऊ | वधूत्सव | वधू + उत्सव |
ऋ + ऋ=ॠ | पितृणम् | पितृ + ऋणम् |
ऋ + ऋ=ॠ | मातृणम् | मातृ + ऋणम् |
इसी प्रकार कर्तृणम् = कर्तृ + ऋणम् , दयानन्दः = दया + आनन्दः, सत्यार्थः, रवीन्द्रः,आदि ।
गुण स्वर सन्धि सन्धि के वर्ण | सन्धि शब्द | सन्धि – विच्छेद |
अ + इ =ए | गुणेन्द्रः | गुण + इन्द्रः |
अ + ई =ए | गणेशः | गण + ईशः |
आ + इ =ए | महेन्द्रः | महा + इन्द्रः |
अ + उ =ओ | परोपकारः | पर + उपकारः |
अ + ऊ =ओ | सूर्योष्मा | सूर्य + ऊष्माः |
आ + उ = ओ | महोत्सवः | महा + उत्सवः |
अ + ऋ =र् | देवर्षिः | देव + ऋषिः |
वृद्धि स्वर सन्धि सन्धि के वर्ण | सन्धि शब्द | सन्धि – विच्छेद |
अ + ए = ऐ | एकैकः | एक + एकः |
आ + ए = ऐ | तथैव | तथा + एवः |
अ + ऐ = ऐ | मतेक्यम् | मत + ऐक्यम् |
अ + ओ = औ | परमौषधिम् | परम + ओषधिम् |
आ + ओ = औ | महौषधिम् | महा + ओषधिम् |
सदैव , जलौधः , सर्वैक्यम् यण स्वर सन्धि – सन्धि के वर्ण | सन्धि शब्द | सन्धि – विच्छेद |
इ + अ = य | यद्यपि | यदि + अपि |
इ + आ = या | इत्यादि | इति + आदि |
ई + अ = य | देव्यर्पणः | देवी + अर्पणः |
ई + आ = या | सख्यागमः | सखी + आगमः |
ई + उ = यु | प्रत्युपकारः | प्रति + उपकार |
इ + ऊ = यू | न्यूनम् | नि + ऊनम् |
इ + ए = ये | प्रत्येकम् | प्रति + एकम् |
इ + ऐ =यै | देव्यैश्वर्य | देवी + एश्वर्यः |
उ+ अ = व | धन्वन्तरः | धनु + अन्तरः |
उ + आ = वा | स्वागतम् | सु + आगतम् |
उ + ए = वे | अन्वेषणम् | अनु + एषणम् |
अयादि स्वर सन्धि ए + अ = अय | नयनम् | ने + अयनम् |
ए + अ =अय | नयति | ने + अति |
ऐ + अ = आय | नायकः | नै + अकः |
ओ + अ = अव | पवनः | पौ + अनः |
औ + अ = आव | पावकः | पौ + अकः |
इसी प्रकार तावपि= तौ + अपि , जयति = जे + अति , भावुकः = भौ + अकः
अतः स्वर सन्धि में दो स्वरों का मिलन होने से स्वर सन्धि होती है ।स्वर अर्थात –
अ , आ , इ , उ , ए ये स्वर है ।
व्यंजन सन्धि
स्वर के अलावा जितने भी वर्ण होते है उन्हें व्यंजन कहते है । व्यंजन २१ होते है ।
दो वर्णों के आपस में मिलने से , व्यंजन से स्वर, अथवा व्यंजन से व्यंजन व्यंजन सन्धि होती है ।
सन्धि के अक्षर | सन्धि शब्द | सन्धि विच्छेद |
क् + ई = ग | वागीशः | वाक् + ईशः |
क् + ग = ग | दिग्गज | दिक् + गजः |
च् + आ = जा | अजादि | अच् + आदि |
ट् + आ = ड् | षडानन | षट् + आनन |
त् + ई = द् | जगदीश | जगत् + ईश |
त् + आ = द् | सदानन्द | सत् + आनन्द |
ट् + म = ण | षणमुखः | षट् + मुखः |
त् + न =न् | जगन्नाथः | जगत् + नाथः |
त् + च् = च् | सच्चरित्रः | सत् + चरित्रः |
त् + ज = ज् | सज्जनः | सत् + जनः |
त् + ल + ल् | तल्लीनः | तत् + लीनः |
त् + य = द्य | उद्योग | उत् + योगः |
म् + त = न् | सन्तापः | सम् + तापः |
इ + स = ष् | विषम् | वि + समः |
विसर्ग सन्धि र् , स् , श् , ह के स्थान पर ( ; ) हो जाता है । विसर्ग के साथ स्वर अथवा व्यंजन जुड़ने पर विसर्ग सन्धि होती है।
विसर्ग + ग = ओ | अधोगति | अधः + गति |
विसर्ग + ह = ओ | मनोहरः | मनः + हरः |
इसी प्रकार - पुनश्चरणम् = पुनः + चरणम् , धनुष्टंकारः = धनुः+ टंकारः
निष्कलंकः - निः + कलंकः , निष्फलः – निः + फलः , आदि